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खुशखबरी: जल्द बढ़ेगी 4G के साथ डाउनलोडिंग स्पीड



दूरसंचार की 4जी सेवाएं लेने के बावजूद अगर मोबाइल में डेटा स्पीड धीमी है, तो इस परेशानी से आपको जल्द निजात मिलने वाली है। दूरसंचार विभाग ने इस समस्या से ग्राहकों को निजात दिलाने के लिए स्पेक्ट्रम हार्मोनाइजेशन को मंजूरी दे दी है। अब सेवा प्रदाता को डाटा मुहैया कराने में लंबा रास्ता नहीं अपनाना होगा, जिससे स्पीड और डाउनलोडिंग की रफ्तार बढ़ जाएगी।  दूरसंचार विभाग के अनुसार, हार्मोनाइजेशन को हरी झंडी मिलने से सेवा प्रदाता कंपनियां 4जी सेवाओं में गुणवत्ता और स्पीड को अच्छा कर सकेंगे। हार्मोनाइजेशन के तहत सभी सेवा प्रदाता स्पेक्ट्रम को एक ही रास्ते पर सामंजस्य के जरिए चलाएंगे।

मौजूदा समय में सभी को अलग रास्ते अपनाने पड़ते हैं। ऐसे में किसी क्षेत्र में कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, जबकि दूसरे स्थान पर वही कंपनी बेहतर सेवाएं नहीं मुहैया करा पाती। हार्मोनाइजेशन को हरी झंडी मिलने का लाभ ग्राहक ही नहीं, सेवा प्रदाता कंपनियों को भी मिलेगा। विभाग के फैसले से a pair of,300 और 2,500 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम का हार्मोनाइजेशन होगा।

देश में भारती एयरटेल और रिलायंस जियो के पास a pair of,300 मेगाहर्ट्ज बैंड हैं। जियो के पास twenty two सर्कल में कुल 600 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम है और भारती के पास इतने ही सर्कल में 570 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम है। जबकि अन्य कंपनियों के पास इस पैमाने पर बैंड के स्पेक्ट्रम नहीं हैं। दरअसल, इन दोनों कंपनियों ने ही नीलामी में यह स्पेक्ट्रम बैंड खरीदा था और इसी में वह अपनी 4जी सेवाएं देती हैं। दूरसंचार मामलों के विशेषज्ञ अरुण प्रधान के मुताबिक, विभाग ने ग्राहकों और सेवा प्रदाता कंपनियों, दोनों की मुश्किलें हल कर दी हैं। इसका लाभ खासतौर पर ग्राहकों को डाउनलोड और अपलोड स्पीड में मिलेगा।याद रहे कि हाल ही में दूरसंचार नियामक ट्राई की रिपोर्ट में औसत डाउनलोड स्पीड में रिलायंस जियो ने बाजी मारी थी। इस दौरान जियो के नेटवर्क पर औसत अधिकतम डाउनलोड स्पीड twenty one.3 एमबीपीएस रही, जबकि इस दौरान भारती एयरटेल के नेटवर्क पर औसत 4जी डाउनलोड स्पीड eight.8 एमबीपीएस रही।

गौरतलब है कि ट्राई रिपोर्ट में वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर के लिए औसत डाउनलोड स्पीड क्रमश: seven.2 एमबीपीएस और six.8 एमबीपीएस रही। जबकि इसी दौरान 4जी अपलोड स्पीड के लिहाज से आइडिया अव्वल रही थी।

दस रुपये के सभी सिक्के असली हैं: रिजर्व बैंक







  देश में दस रुपये के अलग-अलग तरह के सिक्कों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि कोई भी सिक्का अमान्य नहीं है और सभी सिक्के चलन में हैं. ये समय-समय पर जारी किये गये अलग अलग डिजाइनों के सिक्के हैं.

बैंक का कहना है कि शेरावाली की फोटो वाला सिक्का, संसद की तस्वीर वाला सिक्का, बीच में संख्या में ‘10’ लिखा हुआ सिक्का, होमी भाभा की तस्वीर वाला सिक्का, महात्मा गांधी की तस्वीर वाला सिक्का सहित अन्य सभी सिक्के मान्य हैं. केन्द्रीय बैंक के अनुसार इन सिक्कों को विभिन्न विशेष मौकों पर जारी किया गया है.

 
आपको बता दें कि दस रुपये के सिक्कों के लेनदेन को लेकर लोगों के बीच अक्सर विवाद खड़ा हो जाता है. ज्यादातर लोगों का कहना है कि दस पत्ती वाला वही सिक्का मान्य है जिसमें 10 का अंक नीचे की तरफ लिखा है और दूसरी तरफ शेर का अशोक स्तंभ अंकित है.

केन्द्रीय बैंक के एक अधिकारी ने इस संबंध में स्पष्ट किया गया कि दस रुपये के सभी सिक्के वैध हैं.

कॉरपोरेट मामलों के वकील शुजा ज़मीर ने कहा, ‘‘भारत की वैध मुद्रा को लेने से इनकार करने पर राजद्रोह का मामला बनता है और जो ऐसा करता है उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (1) के तहत मामला दर्ज हो सकता है क्योंकि मुद्रा पर भारत सरकार वचन देती है इसको लेने से इनकार करना राजद्रोह है.’’ राष्ट्रीय राजधानी सहित देश के कई हिस्सों में दस रुपये के सिक्को को लेकर भ्रम की स्थिति है और कई दुकानदार और लोग इन सिक्कों को लेने से कतरा रहे हैं.

 
सबसे ज्यादा विवाद उस सिक्के पर है जिसके बीच में ‘10’ लिखा है और इसे नकली कहा जा रहा है. लेकिन आरबीआई की ओर से जानकारी दी गयी है कि यह सिक्का 26 मार्च 2009 को जारी किया गया था.
   आरबीआई ने कहा है कि केंद्रीय बैंक ने वक्त वक्त पर आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक थीम पर सिक्के जारी किए हैं और सिक्कों में 2011 में रुपये का चिन्ह शामिल करने के बाद बदलाव आया. सिक्के लंबे समय तक सही रहते हैं इसलिए यह मुमकिन है कि बाजार में अलग अलग डिजाइन और छवि के सिक्के हों, जिनमें बिना ‘रुपये’ के चिन्ह वाले सिक्के भी शामिल हैं. हालांकि आरबीआई ने किसी का भी लीगल टेंडर वापस नहीं लिया है और सारे सिक्के वैध हैं.

तो अब शायद 10 मर्इ के बाद से रविवार को न मिले पेट्रोल

 पेट्रोल जीवन की ऐसी आवश्यकता बन गई है जिसके बिना जीवन के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता, और इसका एहसास पेट्रोल पंपों की हड़ताल के दौरान होता भी रहता है। लेकिन अब ऐसा काम होने जा रहा है 
 जिससे उपभोक्ताओं की तकलीफों में इज़ाफा होने जा रहा है। कंसोरटियम ऑफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स यानी सीआर्इपीडी ने 10 मर्इ के बाद प्रत्येक रविवार को पेट्रोल पंप बंद रखने का ऐलान किया है। तेल कंपनियों की लगातार अनदेखी से गुस्साए कंसोरटियम ऑफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स यानी सीआर्इपीडी ने 10 मर्इ के बाद प्रत्येक रविवार को पेट्रोल पंप बंद रखने का ऐलान कर दिया है।

यह फैसला रविवार को कुरुक्षेत्र में आयोजित हुई सीआईपीडी की बैठक में लिया गया. नवंबर 2016 में मुंबई और मार्च 2017 में दिल्ली में तीनों तेल कंपनियों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में समस्याओं का समानाधान ने निकलने पर सीआईपीडी ने कुरुक्षेत्र में बैठक बुलाई थी। सीआईपीडी के राष्ट्रीय एडी सत्यानारायणन ने कहा कि साल 2011 से तेल कंपनियां पंप मालिकों को मार्जिन नहीं दे रही है, जिससे पंप संचालक घाटे में जा रहे हैं। इससे बचने के लिए उन्होंने समय-समय पर मार्जिन दिए जाने की मांग की, लेकिन अधिकारी लगातार अनदेखी करते आ रहे हैं।

इतना ही नहीं यदि इसके बाद भी पेट्रोलियम कंपनियां इसके बाद भी उनकी सुध नहीं ली तो पेट्रोल पंपों को रात में भी बंद रखा जाएगा। इस फैसले के लागू होने के बाद देशभर में करीब 53000 पेट्रोल पंपों पर केवल दिन के समय ही पेट्रोल और डीजल मिल सकेगा.उधर, ये निर्णय लागू होता है तो इससे सबसे ज्यादा मुश्किल आम लोगों को होगी। माना जा रहा है कि इससे पेट्रोल पंपों पर भीड़ तो बढ़ेगी ही साथ ही रविवार के दिन पेट्रोल या डीजल खत्म होता है तो उन्हें अगले दिन तक का इंतजार करना होगा। सीआर्इपीडी के इस निर्णय के बाद पेट्रोलियम कंपनियों की प्रतिक्रिया सामने नहीं आर्इ है।


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